Friday 11 March 2016

झुलसाने वाला श्याम सूर्य


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जी हां यह हमारा सूर्य ही है !
झुलसाने वाला तो ठीक है लेकिन श्याम सूर्य ? ये क्या बात हुयी ?
किसी सामान्य दिन सूर्य यह झुलसाने देने वाला अत्यंत गर्म गैस का गोला ही रहता है। लेकिन कभी कभी अचानक सूर्य पर कुछ अत्यंत चुम्ब्कीय क्षेत्रो का निर्माण होता है जिसके कारण कुछ धुंधले ‘सूर्य धब्बो’ और चमकिले ‘सक्रिय क्षेत्रो’ का निर्माण होता है। ”सूर्य धब्बे’ का तापमान अन्य क्षेत्रो से कम होता है।
ये सक्रिय क्षेत्र गैस को चुंबकिय छल्लो के रूप मे प्रवाहित करते है। सामान्यतः यह गैस वापिस सुर्य पर आ जाती है लेकिन कभी कभी यह ‘सूर्य कोरोना(Corona) या सौर हवा(Solar Wind) के रूप मे हमारे अंतरिक्ष मे आ जाती है। यह तस्वीर पराबैगनी प्रकाश के तीन रंगो मे ली गयी है। सुर्य के सक्रिय क्षेत्रो से ही पराबैंगनी किरणे निकलती है इसलिये तस्वीर का अधिकतर हिस्सा श्याम (अंधेरा) दिखायी दे रहा है। तस्वीर के रंगीन क्षेत्र जो ज्यादा चमक रहे है वह ‘सूर्य के सबसे ज्यादा अशांत क्षेत्र हैं। ‘सूर्य की सतह हमेशा अशांत रहती है लेकिन उसने निकलने वाला प्रकाश पिछले ५ बिलियन वर्ष से हमेशा एक सा ही रहा है इसलिये पृथ्वी पर जिवन संभव हो पाया है।

चांद पर दाग ?


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चांद पर दाग ? चांद पर दाग ही नही गड्डे भी है, अपोलो १७ द्वारा १९७२ मे ली गयी इस तस्वीर मे कोपरनिकस क्रेटर दिखायी दे रहा है। इस क्रेटर को आप साधारण बायनाकुलर से देख सकते है। यह चांद की धरती की ओर की सतह मे मध्य से उत्तर पूर्व दिशा मे है।
यह क्रेटर ज्यादा पूराना नही है, अन्य क्रेटर की तुलना मे नया है। यह लगभग १ बीलीयन साल पहले किसी उल्का के चंद्रमा से टकराव से बना है।
चण्द्रमा पर जो अंतिम मानव युक्त यान गया था अपोलो १७ उसने यह चित्र खिंचा था, अब चद्रमा पर फिर से जाने की उम्मीदे जागृत हुयी है क्योंकि इसके ध्रुवो पर पानी की बर्फ का पता चला है।

काल-अतंराल(Space-Time) की अवधारणा

श्याम विवर की गहराईयो मे जाने से पहले भौतिकी और सापेक्षता वाद के कुछ मूलभूत सिद्धांतो की चर्चा कर ली जाये !
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त्री-आयामी
त्री-आयामी

काल-अंतराल(Space-Time) की अवधारणा

सामान्यतः अंतराल को तीन अक्ष में मापा जाता है। सरल शब्दों में लंबाई, चौड़ाई और गहराई, गणितिय शब्दों में x अक्ष, y अक्ष और z अक्ष। यदि इसमें एक अक्ष समय को चौथे अक्ष के रूप में जोड़ दे तब यह काल-अंतराल का गंणितिय माँडल बन जाता है।
त्री-आयामी भौतिकी में काल-अंतराल का अर्थ है काल और अंतराल संयुक्त गणितिय माडल। काल और अंतराल को एक साथ लेकर भौतिकी के अनेकों गूढ़ रहस्यों को समझाया जा सका है जिसमे भौतिक ब्रह्मांड विज्ञान तथा क्वांटम भौतिकी शामिल है।
सामान्य यांत्रिकी में काल-अंतराल की बजाय अंतराल का प्रयोग किया जाता रहा है, क्योंकि काल अंतराल के तीन अक्ष में यांत्रिकी गति से स्वतंत्र है। लेकिन सापेक्षता वाद के सिद्धांत के अनुसार काल को अंतराल के तीन अक्ष से अलग नहीं किया जा सकता क्योंकि , काल किसी पिंड की प्रकाश गति के सापेक्ष गति पर निर्भर करता है।
काल-अंतराल की अवधारणा ने बहुआयामी सिद्धांतो(higher-dimensional theories) की अवधारणा को जन्म दिया है। ब्रह्मांड के समझने के लिये कितने आयामों की आवश्यकता होगी यह एक यक्ष प्रश्न है। स्ट्रींग सिद्धांत जहां 10 से 26 आयामों का अनुमान करता है वही M सिद्धांत 11 आयामों(10 आकाशीय(spatial) और 1 कल्पित(temporal)) का अनुमान लगाता है। लेकिन 4 से ज्यादा आयामों का असर केवल परमाणु के स्तर पर ही होगा।

काल-अंतराल(Space-Time) की अवधारणा का इतिहास

काल-अंतराल(Space-Time) की अवधारणा आईंस्टाईन के 1905 के विशेष सापेक्षता वाद के सिद्धांत के फलस्वरूप आयी है। 1908 में आईंस्टाईन के एक शिक्षक गणितज्ञ हर्मन मिण्कोवस्की आईंस्टाईन के कार्य को विस्तृत करते हुये काल-अंतराल(Space-Time) की अवधारणा को जन्म दिया था। ‘मिंकोवस्की अंतराल’ की धारणा यह काल और अंतराल को एकीकृत संपूर्ण विशेष सापेक्षता वाद के दो मूलभूत आयाम के रूप में देखे जाने का प्रथम प्रयास था।’मिंकोवस्की अंतराल’ की धारणा यह विशेष सापेक्षता वाद को ज्यामितीय दृष्टि से देखे जाने की ओर एक कदम था, सामान्य सापेक्षता वाद में काल अंतराल का ज्यामितीय दृष्टिकोण काफी महत्वपूर्ण है।

मूलभूत सिद्धांत

काल अंतराल वह स्थान है जहां हर भौतिकी घटना होती है : उदाहरण के लिये ग्रह का सूर्य की परिक्रमा एक विशेष प्रकार के काल अंतराल में होती है या किसी घूर्णन करते तारे से प्रकाश का उत्सर्जन किसी अन्य काल-अंतराल में होना समझा जा सकता है। काल-अंतराल के मूलभूत तत्व घटनायें (Events) है। किसी दिये गये काल-अंतराल में कोई घटना(Event), एक विशेष समय पर एक विशेष स्थिति है। इन घटनाओ के उदाहरण किसी तारे का विस्फोट या ड्रम वाद्ययंत्र पर किया गया कोई प्रहार है।
पृथ्वी की कक्षा- काल अंतराल के सापेक्ष
पृथ्वी की कक्षा- काल अंतराल के सापेक्ष
काल-अंतराल यह किसी निरीक्षक के सापेक्ष नहीं होता। लेकिन भौतिकी प्रक्रिया को समझने के लिये निरीक्षक कोई विशेष आयामों का प्रयोग करता है। किसी आयामी व्यवस्था में किसी घटना को चार पूर्ण   अंकों(x,y,z,t) से निर्देशित किया जाता है। प्रकाश किरण यह प्रकाश कण की गति का पथ प्रदर्शित करती है या दूसरे शब्दों में प्रकाश किरण यह काल-अंतराल में होनेवाली घटना है और प्रकाश कण का इतिहास प्रदर्शित करती है। प्रकाश किरण को प्रकाश कण की विश्व रेखा कहा जा सकता है। अंतराल में पृथ्वी की कक्षा दीर्घ वृत्त(Ellpise) के जैसी है लेकिन काल-अंतराल में पृथ्वी की विश्व रेखा हेलि़क्स के जैसी है।
पृथ्वी की कक्षा- काल अंतराल के सापेक्ष सरल शब्दों में यदि हम x,y,z इन तीन आयामों के प्रयोग से किसी भी पिंड की स्थिती प्रदर्शित कर सकते है। एक ही प्रतल में दो आयाम x,y से भी हम किसी पिंड की स्थिती प्रदर्शित हो सकती है। एक प्रतल में x,y के प्रयोग से, पृथ्वी की कक्षा एक दीर्घ वृत्त के जैसे प्रतीत होती है। अब यदि किसी समय विशेष पर पृथ्वी की स्थिती प्रदर्शित करना हो तो हमें समय t आयाम x,y के लंब प्रदर्शित करना होगा। इस तरह से पृथ्वी की कक्षा एक हेलिक्स या किसी स्प्रींग के जैसे प्रतीत होगी। सरलता के लिये हमे z आयाम जो गहरायी प्रदर्शित करता है छोड़ दिया है।
काल और समय के एकीकरण में दूरी को समय की इकाई में प्रदर्शित किया जाता है, दूरी को प्रकाश गति से विभाजित कर समय प्राप्त किया जाता है।

काल-अंतराल अन्तर(Space-time intervals)

काल-अंतराल यह दूरी की एक नयी संकल्पना को जन्म देता है। सामान्य अंतराल में दूरी हमेशा धनात्मक होनी चाहिये लेकिन काल अंतराल में किसी दो घटना(Events) के बीच की दूरी(भौतिकी में अंतर(Interval)) वास्तविक , शून्य या काल्पनिक(imaginary) हो सकती है। ‘काल-अंतराल-अन्तर’ एक नयी दूरी को परिभाषित करता है जिसे हम कार्टेशियन निर्देशांको मे x,y,z,t मे व्यक्त करते है।
s2=r2-c2t2
s=काल-अंतराल-अंतर(Space Time Interval) c=प्रकाश गति
r2=x2+y2+z2
काल-अंतराल में किसी घटना युग्म (pair of event) को तीन अलग अलग प्रकार में विभाजित किया जा सकता है
  • 1.समय के जैसे(Time Like)- दोनो घटनाओ के मध्य किसी प्रतिक्रिया के लिये जरूरत से ज्यादा समय व्यतित होना; s2 <0)
  • 2.प्रकाश के जैसे(Light Like)-(दोनों घटनाओ के मध्य अंतराल और समय समान है;s2=0)
  • 3.अंतराल के जैसे (दोनों घटनाओ के मध्य किसी प्रतिक्रिया के लिये जरूरी समय से कम समय का गुजरना; s2>0) घटनाये जिनका काल-अंतराल-अंतर ऋणात्मक है, एक दूसरे के भूतकाल और भविष्य में है।

अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केन्द्र की मरम्मत

अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केन्द्र की मरम्मत
अंतराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन(International Space Station-ISS)पृथ्वी की परिक्रमा करने वाली मानव निर्मित सबसे बडी वस्तु होगी। यह केन्द्र इतना बडा है कि इसे एक बार मे प्रक्षेपित नही किया जा सकता। इसे टुकडो टुकडो मे बनाया जा रहा है। इन टुकडो को संयुक्त राज्य अमरिका के अंतरिक्ष शटल और रुस के सोयुज यानो से ले जाकर अंतरिक्ष मे जोडा जाता है। इस केन्द्र के आधार और आकार के लिये ट्रस(Truss) की आवश्यकता होती है जो लगभग १५ मिटर लंबे और १०,००० किलोग्राम वजन के होते है। इस तस्वीर मे अंतरिक्ष यात्री राबर्ट एल करबीम (अमरीका)[Robert L. Curbeam (USA)] और क्रिस्टर फुगलसंग (स्वीडन)[Fuglesang (Sweden)] एक नये ट्रस को अंतरिक्ष केन्द्र मे लगा रहे है। साथ मे उन्होने बिजली केन्द्र[power grid] की मरम्मत भी की।

सी फर्ट आकाशगंगा NGC 7742


नही ये आपके नाश्ते के लिये तैयार किया गया अंडे का आमलेट नही है !
यह एक विशाल आकाशगंगा है जिसका नाम सीफर्ट( Seyfert Galaxy NGC 7742) है। निले रंग के तारो के जन्मस्थली(Star Forming Regions) और धुंधली घुमावदार बांहो से घीरा हुआ पिले रंग का आकाशगंगा केन्द्र लगभग 3000 प्रकाश वर्ष चौडा है। यह पृथ्वी से लगभग 720 लाख प्रकाशवर्ष दूर भद्रक  तारामंडल(constellation Pegasus) मे है। यह एक घुमावदार आकाशगंगा है जिसका केन्द्र काफी चमकदार है, यह चमक कुछ ही दिनो या महिनो मे बदल सकती है। इस तरह की आकाशगंगाओ के केन्द्र मे काफी बडे श्याम विवर (massive black holes) होने की संभावना रहती है। यह चित्र हब्बल दूरबीन से लिया गया है।

Thursday 10 March 2016

बिल्ली की आंखे


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तिन हजार प्रकाश वर्ष दूर ,एक मरते हुये तारे मे विस्फोट हुआ और गैस के चमकीले बादल तारे से बाहर फेंके गये। हब्बल दूरबीन से लिये गये बिल्ली की आंख के आकार की इस निहारीका(Cat’s Eye Nebula) के चित्र से इस जटिल ग्रहीय निहारीका(planetary nebulae) के बारे मे ज्यादा सूचना मिली है। इस निहारीका का विवरण इतना जटिल है कि विज्ञानीयो को इसके केन्द्र मे स्थित चमकिले पिंड पर युग्म तारे(Binary Star)होने का शक हो रहा है।
ग्रहीय निहारीका छोटी दूरबीन से गोल और एक  एक बहुत बडे ग्रह के जैसे दिखायी देती है लेकिन ग्रहीय निहारीका के लिये ग्रह शब्द का प्रयोग गलत है। क्योंकि एक ग्रहीय निहारीका तारो से बनी होती है गैस और धूल जो ढके हुये होते है। यह गैस और धुल इन्ही तारो के द्वारा उत्सर्जित होते है।

‘चील निहारिका’ मे सितारो का जन्म


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सितारो का जन्म कहां होता है ? सितारो की जन्मस्थली को EGGs(evaporating gaseous globules) कहा जाता है। ये EGGs कुछ और नही सुदूर अंतरिक्ष मे हायड्रोजन गैस के संघनित क्षेत्र होते है ,जो गुरुत्वाकर्षण के कारण घनीभूत होकर सितारो मे तब्दिल हो जाते है। यह चित्र चील के आकार की एक निहारिका (Eagle Nebula (M16))का है। गर्म और चमकीले तारो से आनेवाला प्रकाश इस क्षेत्र(Eggs) को और गर्म करता है जिससे नये तारो का जन्म होता है। यह चित्र हब्बल दूरबीन से लीया गया है।
निहारिका (Nebula)-> अंतरिक्ष मे धूल, गैस और प्लाज्मा का बादल।