1929 में एडवीन हब्बल ने एक आश्चर्य जनक खोज की,
उन्होने पाया की अंतरिक्ष में आप किसी भी दिशा में देखे आकाशगंगाये और अन्य
आकाशीय पिंड तेजी से एक दूसरे से दूर हो रहे है। दूसरे शब्दों मे
ब्रह्मांड का विस्तार हो रहा है। इसका मतलब यह है कि इतिहास में ब्रह्मांड
के सभी पदार्थ आज की तुलना में एक दूसरे से और भी पास रहे होंगे। और एक समय
ऐसा रहा होगा जब सभी आकाशीय पिंड एक ही स्थान पर रहे होंगे, लेकिन क्या आप
इस पर विश्वास करेंगे ?
तब से लेकर अब तक खगोल शास्त्रियों ने उन परिस्थितियों का विश्लेषण करने
का प्रयास किया है कि कैसे ब्रह्मांडीय पदार्थ एक दूसरे से एकदम पास होने
की स्थिती से एकदम दूर होते जा रहे है।
इतिहास में किसी समय , शायद 10 से 15 अरब साल पूर्व , ब्रह्मांड के सभी
कण एक दूसरे से एकदम पास पास थे। वे इतने पास पास थे कि वे सभी एक ही जगह
थे, एक ही बिंदु पर। सारा ब्रह्मांड एक बिन्दु की शक्ल में था। यह बिन्दु
अत्यधिक घनत्व(infinite density) का, अत्यंत छोटा बिन्दु(infinitesimally
small ) था। ब्रह्मांड का यह बिन्दु रूप अपने अत्यधिक घनत्व के कारण अत्यंत
गर्म(infinitely hot) रहा होगा। इस स्थिती में भौतिकी, गणित या विज्ञान का
कोई भी नियम काम नहीं करता है। यह वह स्थिती है जब मनुष्य किसी भी प्रकार
अनुमान या विश्लेषण करने में असमर्थ है। काल या समय भी इस स्थिती में रुक
जाता है, दूसरे शब्दों में काल और समय के कोई मायने नहीं रहते है।*
इस स्थिती में किसी अज्ञात कारण से अचानक ब्रह्मांड का विस्तार होना
शुरू हुआ। एक महा विस्फोट के साथ ब्रह्मांड का जन्म हुआ और ब्रह्मांड में
पदार्थ ने एक दूसरे से दूर जाना शुरू कर दिया।
महा विस्फोट के 10-43 सेकंड के बाद,
अत्यधिक ऊर्जा(फोटान कणों के रूप में) का ही अस्तित्व था। इसी समय क्वार्क ,
इलेक्ट्रान, एन्टी इलेक्ट्रान जैसे मूलभूत कणों का निर्माण हुआ। इन कणों
के बारे हम अगले अंको मे जानेंगे।
No comments:
Post a Comment