Thursday 25 February 2016

“गैलेलियो, शायद किसी भी अन्य व्यक्ति की तुलना मे, आधुनिक विज्ञान के जन्मदाता थे।” – स्टीफन हांकिस

समरूप से त्वरित पिंडो की गति जिसे आज सभी पाठशालाओ और विश्वविद्यालयो मे पढाया जाता है, गैलीलियो द्वारा काईनेमेटीक्स(शुद्ध गति विज्ञान) विषय के रूप मे विकसित किया गया था। उन्होने अपनी उन्नत दूरबीन से शुक्र की कलाओ का सत्यापन किया था; बृहस्पति के चार बड़े चन्द्रमा खोजे थे(जिन्हे आज गैलेलीयन चन्द्रमा कहते है) तथा सूर्य धब्बो का निरिक्षण किया था। गैलीलियो ने विज्ञान और तकनिक के अनुप्रयोगो के लिये भी कर्य किया था, उन्होने सैन्य दिशादर्शक(Military Compass) और अन्य उपकरणो का आविष्कार किया था।
गैलीलियो द्वारा कोपरनिकस के सूर्य केन्द्रित सिद्धांत का समर्थन उनके संपूर्ण जीवन काल मे विवादास्पद बना रहा, उस समय अधिकतर दार्शनिक और खगोल विज्ञानी प्राचिन दार्शनिक टालेमी के भू केन्द्रित सिद्धांत का समर्थन करते थे जिसके अनुसार पृथ्वी ब्रम्हांड का केन्द्र है। 1610 के जब गैलीलियो ने सूर्यकेन्द्र सिद्धांत (जिसमे सूर्य ब्रम्हांड का केन्द्र है) का समर्थन करना शुरू किया उन्हे धर्मगुरुओ और दार्शनिको के कट्टर विरोध का सामना करना पडा़ और उन्होने 1615 मे गैलेलियो को धर्मविरोधी करार दे दिया। फरवरी 1616 मे वे आरोप मुक्त हो गये लेकिन चर्च ने सूर्य केन्द्रित सिद्धांत को गलत और धर्म के विपरित कहा। गैलेलियो को इस सिद्धांत का प्रचार न करने की चेतावनी दी गयी जिसे गैलीलियो ने मान लिया। लेकिन 1632 मे अपनी नयी किताब “डायलाग कन्सर्निंग द टू चिफ वर्ल्ड सीस्टमस” मे उन्होने सूर्य केन्द्री सिद्धांत के समर्थन के बाद उन्हे चर्च ने फिर से धर्मविरोधी घोषित कर दिया और इस महान वैज्ञानिक को अपना शेष जीवन अपने घर ने नजरबंद हो कर गुजारना पड़ा।
गैलीलियो का जन्म पीसा इटली मे हुआ था, वे वीन्सेन्ज़ो गैलीली की छः संतानो मे सबसे बड़े थे। उनके पिता एक संगितकार थे, गैलीलियो का सबसे छोटा भाई माइकलेन्जेलो भी एक प्रसिद्ध संगितकार हुये है। गैलीलियो का पूरा नाम गैलीलियो दी वीन्सेन्ज़ो बोनैउटी दे गैलीली था। आठ वर्ष की उम्र मे उनका परिवार फ्लोरेंस शहर चला गया था। उनकी प्राथमिक शिक्षा कैमलडोलेसे मान्स्टेरी वाल्लोम्ब्रोसा मे हुआ था।
गैलीलियो रोमन कैथोलिक थे। उन्होने किशोरावस्था मे पादरी बनने की सोची थी लेकिन पिता के कहने पर पीसा विश्वविद्यालय से चिकित्सा मे पदवी के लिये प्रवेश लिया लेकिन यह पाठ्यक्रम पूरा नही किया। उन्होने गणित मे शिक्षा प्राप्त की।
गैलीलियो की चित्रकला मे भी रूचि थी और उसमे भी उन्होने शिक्षा ग्रहण की। 1588 मे उन्होने अकेडीमिया डेल्ले आर्टी डेल डिसेग्नो फ्लोरेन्स मे शिक्षक के रूप मे कार्य प्रारंभ किया। 1589 मे वे पिसा मे गणित व्याख्याता के रूप मे कार्य शुरू किया। 1592 से उन्होने पौडा विश्वविद्यालय मे ज्यामिति, यांत्रिकि और खगोलशास्त्र पढाना प्रारंभ किया। इस पद पर वे 1610 तक रहे। इस पद पर रहते हुये उन्होने मूलभूत विज्ञान (गतिविज्ञान, खगोल विज्ञान) तथा प्रायोगिक विज्ञान (पदार्थ की मजबूती, उन्न्त दूरबीन इत्यादि) पर कार्य किया। उनकी एकाधिक अभिरूचियो मे ज्योतिष भी था जो उस समय गणित और खगोल विज्ञान से जुड़ा हुआ था।
गैलीलियो को सूक्ष्म गणितीय विश्लेषण करने का कौशल संभवत: अपने पिता विन्सैन्जो गैलिली से विरासत में आनुवांशिक रूप में तथा कुछ उनकी कार्यशैली को करीब से देख कर मिला होगा। विन्सैन्जो एक जाने-माने संगीत विशेषज्ञ थे और ‘ल्यूट’ नामक वाद्य यंत्र बजाते थे जिसने बाद में गिटार और बैन्जो का रूप ले लिया। उन्होंने भौतिकी में पहली बार ऐसे प्रयोग किए जिनसे ”अरैखिक संबंध(Non-Linear Relation)” का प्रतिपादन हुआ। तब यह ज्ञात था कि किसी वाद्य यंत्र की तनी हुई डोर (या तार) के तनाव और उससे निकलने वाली आवृत्ति में एक संबंध होता है, आवृत्ति तनाव के वर्ग के समानुपाती होती है। इस तरह संगीत के सिद्धांत में गणित की थोड़ी बहुत पैठ थी। प्रेरित हो गैलीलियो ने पिता के कार्य को आगे बढ़ाया और फिर उन्होंने बाद में पाया कि प्रकृति के नियम गणित के समीकरण होते हैं। गैलीलियो ने लिखा है –

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