गैलीलियो ने दर्शन शास्त्र का भी गहन अध्ययन किया था साथ ही वे धार्मिक
प्रवृत्ति के भी थे। पर वे अपने प्रयोगों के परिणामों को कैसे नकार सकते थे
जो पुरानी मान्यताओं के विरुद्ध जाते थे और वे इनकी पूरी ईमानदारी के साथ
व्याख्या करते थे। उनकी चर्च के प्रति निष्ठा के बावजूद उनका ज्ञान और
विवेक उन्हें किसी भी पुरानी अवधारणा को बिना प्रयोग और गणित के तराजू में
तोले मानने से रोकता था। चर्च ने इसे अपनी अवज्ञा समझा। पर गैलीलियो की इस
सोच ने मनुष्य की चिंतन प्रक्रिया में नया मोड़ ला दिया। स्वयं गैलीलियो
अपने विचारों को बदलने को तैयार हो जाते यदि उनके प्रयोगों के परिणाम ऐसा
इशारा करते। अपने प्रयोगों को करने के लिए गैलीलियो ने लंबाई और समय के मानक
तैयार किए ताकि यही प्रयोग अन्यत्र जब दूसरी प्रयोगशालाओं में दुहराए जाएं
तो परिणामों की पुनरावृत्ति द्वारा उनका सत्यापन किया जा सके।
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