Saturday 27 February 2016

स्वर्ण निर्मित होह्लराम जिसमे हायड्रोजन को संपिडित किया जाता है!
स्वर्ण निर्मित होह्लराम जिसमे हायड्रोजन को संपिडित किया जाता है!
इस प्रयोग मे नाभिकिय संलयन की प्रक्रिया को प्रारंभ करने के लिये विश्व के सबसे शक्तिशाली 192 लेजर किरणो को 1 सेमी स्वर्ण सीलेंडर पर केंद्रित किया गया। इस स्वर्ण सीलेंडर को होह्लराम (hohlraum) कहते है, इसके अंदर एक प्लास्टिक कैपसूल रखा जाता है। लेजर किरणो के द्वारा यह होह्लराम अत्याधिक तापमान(लाखों डीग्री सेल्सीअस) पर गर्म हो जाता है और X किरणो का उत्सर्जन प्रारंभ करता है। इन X किरणो के प्रभाव से से प्लास्टिक कैपसूल टूट जाता है और उसके अंदर की हायड्रोजन गैस संपिड़ित होती है। उच्च ताप के कारण यह हायड्रोजन गैस अपने वास्तविक घनत्व से 1/35 गुणा ज्यादा संपिड़ित हो जाती है। यह किसी बास्केटबाल को किसी मटर के दाने के आकार मे संपिडित किये जाने के तुल्य है।  इस प्रक्रिया मे हायड्रोजन की प्लाज्मा अवस्था मे मानव केश से भी कम व्यास की जगह मे हायड्रोजन के समस्थानिक ड्युटेरीयम और ट्रीटीयम के परमाणु एक दूसरे मे समाकर हीलीयम का परमाणू बनाते है और ऊर्जा मुक्त करते है।
यह पहली बार हुआ है कि इस प्रक्रिया मे उत्पन्न ऊर्जा , प्रक्रिया प्रारंभ होने मे लगने वाली ऊर्जा से ज्यादा है। इसके पहले के सभी प्रयोगो मे संलयन से उत्पन्न ऊर्जा इतनी नही थी कि श्रृंखला प्रक्रिया प्रारंभ कर सके।
स्वर्ण होह्लराम के अंदर हायड्रोजन प्लाज्मा
स्वर्ण होह्लराम के अंदर हायड्रोजन प्लाज्मा

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