सृष्टि से पहले सत नहीं था, असत भी नहीं
अंतरिक्ष भी नहीं, आकाश भी नहीं था
छिपा था क्या कहाँ, किसने देखा था
उस पल तो अगम, अटल जल भी कहाँ था
ऋग्वेद(10:129) से सृष्टि सृजन की यह श्रुती
अंतरिक्ष भी नहीं, आकाश भी नहीं था
छिपा था क्या कहाँ, किसने देखा था
उस पल तो अगम, अटल जल भी कहाँ था
ऋग्वेद(10:129) से सृष्टि सृजन की यह श्रुती
लगभग पांच हजार वर्ष पुरानी यह श्रुति आज भी
उतनी ही प्रासंगिक है जितनी इसे रचित करते समय थी। सृष्टि की उत्पत्ति आज
भी एक रहस्य है। सृष्टि के पहले क्या था ? इसकी रचना किसने, कब और क्यों की
? ऐसा क्या हुआ जिससे इस सृष्टि का निर्माण हुआ ?
अनेकों अनसुलझे प्रश्न है जिनका एक निश्चित
उत्तर किसी के पास नहीं है। कुछ सिद्धांत है जो कुछ प्रश्नों का उत्तर देते
है और कुछ नये प्रश्न खड़े करते है। सभी प्रश्नों के उत्तर देने वाला
सिद्धांत अभी तक सामने नहीं आया है।
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